
इस्लामाबाद/वॉशिंगटन/नई दिल्ली
इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की वाइट हाउस में हुई लंच पर मुलाकात के बाद अब अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से टेलीफोन पर बात की है। इस दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय स्थिरता, भारत-पाकिस्तान तनाव, मध्य पूर्व की स्थिति और आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रयासों पर सहमति जताई है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए क्रेडिट दिया है। पाकिस्तान प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप के सकारात्मक बयानों का स्वागत किया और उन्हें दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए प्रोत्साहित करने वाला बताया।"
लेकिन इस दौरान शहबाज शरीफ ने भारत से बातचीत करवाने के लिए अमेरिका से फिर से गुहार लगाई है। शहबाज ने जम्मू और कश्मीर, सिंधु जल संधि, व्यापार और आतंकवाद-रोधी सहित सभी लंबित विवादों पर भारत के साथ सार्थक बातचीत करने की बात अमेरिका से कही है। इसके अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर से पाकिस्तान में मौजूद कुछ दुर्लभ खनिज संपदाओं का ऑफर देने की कोशिश की है।
भारत से बात करने फिर गिड़गिड़ाए शहबाज शरीफ
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री से बात करते हुए कहा है कि पाकिस्तान, भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों, खासतौर से जम्मू-कश्मीर, सिंधु जल संधि, व्यापार और आतंकवाद पर गंभीर और रचनात्मक बातचीत को तैयार है। हालांकि भारत ने साफ कर रखा है कि पाकिस्तान से तब तक बातचीत नहीं होगी, जब तक वो आतंकवाद को खत्म नहीं करता है। इसके अलावा भारत ने साफ कर रखा है कि दिल्ली अब सिर्फ पीओके पर बात करेगी। दिल्ली ने कई बार पाकिस्तान से पीओके खाली करने को कहा है। वहीं शहबाज शरीफ ने ट्रंप और रुबियो की उस पहल की भी सराहना की, जिसके चलते भारत-पाकिस्तान के बीच एक नए सीजफायर समझौते की नींव पड़ी। हालांकि भारत ने बार बार साफ किया है कि अमेरिका, भारत-पाकिस्तान में हुई मध्यस्थता के लिए जिम्मेदार नहीं है। भारत ने अमेरिका को क्रेडिट देने से इनकार कर दिया है।
भारत का स्टैंड क्लियर, सिर्फ PoK और आतंकवाद पर ही होगी बात
भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान के साथ सिर्फ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बात होगी। ऐसे में शरीफ की इस पेशकश को भारत के नजरिए से कोई नई पहल नहीं माना जा रहा।
दोनों नेताओं के बीच ईरान-इजरायल युद्ध पर भी बात हुई। शरीफ ने कहा कि यह संकट केवल क्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है और इसका समाधान संवाद व कूटनीति के जरिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शांति के लिए किसी भी रचनात्मक प्रयास में भूमिका निभाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिका के साथ व्यापार, निवेश, ऊर्जा, खनन, रेयर अर्थ मेटल्स और आईटी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की इच्छा भी जताई। उन्होंने ट्रंप के व्यापार को लेकर फोकस का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका को मिलकर परस्पर लाभकारी साझेदारी पर काम करना चाहिए।
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान पूरे देश में विशेष रूप से चरमपंथी संगठनों से आने वाले खतरों के खिलाफ आतंकवाद से लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सेक्रेटरी रुबियो ने पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ हर संभव सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम समझौते को बनाए रखने के पाकिस्तान के प्रयासों की भी तारीफ की।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर दोनों देशों की सेना के बीच हुई बातचीत के बाद हुई थी और अमेरिका उसमें शामिल नहीं था। इसके अलावा शहबाज शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत के दौरान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की तरफ से उठाए गये कदमों की जानकारी दी। वहीं मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना करते हुए भरोसा दिलाया कि अमेरिका क्षेत्रीय आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों के साथ खड़ा रहेगा।