संजय झा का खरगे पर पलटवार, बोले – पिछले दो बजट को ‘बिहार का बजट’ बताने वाली कांग्रेस के पास बिहार के विकास का कोई विजन नहीं

पटना

आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बिहार पहुंचे थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मल्लिकार्जुन खरगे के तीखे बयानों का पलटवार भी किया। अब जदयू नेता और कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा भी मल्लिकार्जुन खरगे पर तंज कसा है। संजय झा ने कहा कि संसद में पेश पिछले दो बजट को ‘बिहार का बजट’ बताने वाली कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कह रहे हैं कि NDA सरकार को बिहार के विकास से मतलब नहीं है! हद है।

जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि आज पूरे बिहार में अच्छी सड़कें हैं, हर घर में बिजली और नल का जल है, हर जिले में अच्छे अस्पताल और प्रोफेशनल शिक्षा के संस्थान हैं, हर साल लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार मिल रहे हैं, विकास की गतिविधियों में महिलाओं की सर्वाधिक भागीदारी है, तेजी से नये उद्योग लग रहे हैं और पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है…  लेकिन जिस कांग्रेस के पास बिहार के विकास का कोई विजन नहीं है, उसके नेता को यह सब कैसे दिखेगा।

संजय झा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि आदरणीय @kharge जी, आपको याद दिला दूं कि कांग्रेस ने दलितों और अतिपिछड़ों को पंचायत चुनाव में आरक्षण भी नहीं दिया था। वर्ष 2005 में नीतीश कुमार जी की सरकार बनी, उसके बाद बिहार में दलितों और अतिपिछड़ों को पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण दिया गया। संजय झा ने आगे लिखा है कि प्रधानमंत्री @NarendraModi और मुख्यमंत्री @NitishKumar के कुशल नेतृत्व में एनडीए की डबल इंजन की सरकार बिहार को जिस तेजी से विकसित प्रदेश बनाने की राह पर अग्रसर कर रही है, उसे देख कर कांग्रेस नेताओं की बौखलाहट स्वाभाविक है।

हकीकत यह है कि जिस कांग्रेस ने आजादी के छह दशक तक बिहार की लगातार उपेक्षा करके इसे देश का सबसे पिछड़ा प्रदेश बनाने का पाप किया, वोट बैंक की राजनीति के लिए इस प्रदेश को दंगों और नरसंहार की आग में झोंका, अपहरण को ‘उद्योग’ बना कर बिहार से कारोबारियों को पलायन के लिए मजबूर किया, सीमा पार से आने वाली प्रलयंकारी बाढ़ का प्रकोप कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, उसे नये बिहार में शांति-सौहार्द और न्याय के साथ तेजी से हो रहा विकास पच नहीं रहा है।

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