अब डिलीवरी बॉय को भी पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सकता है

नई दिल्ली
जोमैटो, स्विगी, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ काम कर रहे लाखों डिलीवरी पार्टनर्स और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के लिए एक अहम खबर सामने आई है। जल्द ही इन गिग वर्कर्स को भी पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सकता है। सूत्रों की मानें तो ओला, उबर और अमेजन सहित कई कंपनियों ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और इसे अगली कैबिनेट बैठक में पेश किया जा सकता है।

कौन हैं गिग वर्कर्स?
गिग वर्कर्स वो श्रमिक होते हैं जो किसी स्थायी नौकरी की बजाय अस्थायी या अनुबंध आधारित कार्य करते हैं। इनमें फ्रीलांसर, डिलीवरी एजेंट, कैब ड्राइवर, कंटेंट क्रिएटर, और कई ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स शामिल हैं। ये कर्मचारी "पे-पर-टास्क" मॉडल पर काम करते हैं और परंपरागत कर्मचारियों की तरह उन्हें पेंशन, मेडिकल या अन्य सुविधाएं नहीं मिलतीं।

क्या है सरकार की योजना?
सरकार की योजना के मुताबिक, इन अस्थायी कर्मचारियों के लिए एक पेंशन स्कीम लागू की जा सकती है, जिसमें कंपनियां EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) के माध्यम से एक तय राशि जमा करेंगी। गिग वर्कर्स के पास दो विकल्प होंगे—या तो वो खुद भी अंशदान करें या केवल कंपनी के अंशदान के आधार पर पेंशन प्राप्त करें।

क्यों है यह जरूरी?
देश में लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि गिग वर्कर्स को भी पारंपरिक कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा दी जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस साल के आम बजट में गिग वर्कर्स के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य उनके डेटा को संकलित करना और उन्हें स्वास्थ्य बीमा, बीमा कवर और अब पेंशन जैसी सुविधाएं देना है।

आगे क्या?
अब यह प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने पर एक बड़ी श्रेणी के गिग वर्कर्स को पहली बार संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की तरह सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलने लगेगा। अगर यह स्कीम लागू हो जाती है, तो यह भारत के श्रम बाजार में एक ऐतिहासिक कदम माना जाएगा।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button