
सीहोर
सावन के पावन माह में शिवभक्तों की आस्था का केंद्र बना कुबेरेश्वरधाम रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ से गूंज उठा। सावन के तीसरे सोमवार से पहले रविवार को सवा लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर मनोकामनाएं मांगीं। शहर के सीवन घाट से सुबह 7 बजे विठलेश सेवा समिति की ओर से विशाल कांवड़ यात्रा निकाली गई, जिसमें शहर और आसपास के क्षेत्रों के हजारों भक्तों ने भाग लिया।
कुबेरेश्वरधाम पहुंचने पर कांवड़ यात्रा का स्वागत कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया। उन्होंने भक्तों से कहा, कांवड़ यात्रा में आपके पैर नहीं, आपका विश्वास चलता है। करीब 11 किमी की यह यात्रा, बारिश और कठिनाइयों के बावजूद, श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा और संकल्प के साथ तय की। धाम पर दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं और श्रद्धालु 'बम बम भोले' के जयघोष के साथ घंटों कतार में खड़े होकर दर्शन का लाभ लेते रहे।
डाक कांवड़ में भक्ति और गति का अद्भुत समन्वय
सीवन नदी के तट से बड़ी संख्या में डाक कांवड़ यात्रा भी रवाना हुई। उत्तर प्रदेश से आए दो दर्जन से अधिक युवाओं ने दौड़ते हुए बाबा के लिए जल चढ़ाने की अनूठी परंपरा निभाई। श्रद्धालु आयुष यादव ने बताया कि डाक कांवड़ केवल तेज दौड़ नहीं, बल्कि आराधना की पराकाष्ठा है, जहां आत्मा दौड़ती है और सिर्फ शिव तक शीघ्र पहुंचने की लगन रहती है।
संगठित और अनुशासित दिखा हर कांवड़ ग्रुप
डाक कांवड़ के हर ग्रुप में 20 से 25 युवा कांवड़िए होते हैं। हर कांवड़िया अपनी बारी आने पर 100 से 150 मीटर की दूरी दौड़ता है। पूरा दल लगभग 18 से 22 किमी की यात्रा तय करता है। पूरे समय यह ध्यान रखा जाता है कि कांवड़ भूमि से स्पर्श न करे और खंडित न हो।
कांवड़ में जल लेकर मंदिर पहुंचे श्रद्धालु पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि भोर से ही श्रद्धालु कांवड़ में जल लेकर मंदिर पहुंचे। हर हर महादेव और बोल बम के जयघोषों से पूरा वातावरण शिवमय हो गया। मनोज दीक्षित के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस दौरान फूल, फल, तुलसी की मंजरी, तुलसी दल और बेल पत्र से शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
शहर में दिखा महाकुंभ जैसा दृश्य
विठलेश सेवा समिति के मनोज दीक्षित 'मामा' ने बताया कि कुबेरेश्वरधाम की यह यात्रा अब एक महातीर्थ का स्वरूप ले चुकी है। सावन के प्रत्येक दिन यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिससे शहर में महाकुंभ जैसा माहौल बन जाता है। भक्तों का उत्साह, सेवा भाव और भक्ति हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है।