आस्था का केंद्र: इस मंदिर में शिव भक्तों को मिलती है संतान सुख की सौगात

रायपुर

 रायपुर के सरोना गांव में प्राचीन शिव मंदिर में दर्शन करने सुबह से ही श्रद्दालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। 250 साल पुराने इस पंचमुखी शिव मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। भक्त लाइन में लगकर अपनी-अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। मंत्रोच्चारण के बीच पंचमुखी भगवान शिव का मनमोहक श्रृंगार किया गया। इस दौरान मंदिर परिसर में बम-बम भोले के जयकारे लगते रहे। पूरा मंदिर परिसर जयकारों से गूंजता रहा।

यह मंदिर दो तालाबों के बीच में बना हुआ है। दोनों तालाब इस मंदिर की खूबसूरती बढ़ाते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर के नीचे से तालाब का पानी बहता है। लोग इसे कछुआ वाले शिव मंदिर के नाम से भी जानते हैं। दोनों तालाब में 100 साल से अधिक उम्र के दो कछुओं समेत कई कछुए रहते हैं, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु घंटों तालाब के किनारे खड़े रहते हैं।

मंदिर की विशेषता
मंदिर के पुजारी शंकर गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर को राजपूतों ने बनवाया था। 14 गांव के मालिक स्व. गुलाब सिंह ठाकुर नि:संतान थे। सरोना गांव के आसपास जंगलों में नागा साधुओं ने डेरा जमाया था। स्व. ठाकुर ने संतान प्राप्ति के लिए कई मन्नत मांगी। इस दौरान उनकी मुलाकात नागा साधुओं से हुई। इस पर साधुओं ने गांव के पास तालाब खुदवाकर शिव मंदिर बनाने की सलाह दी। इस पर तालाब खुदवाकर वहां शिव मंदिर बनवाया गया। इस पर ठाकुर परिवार को दो संतान की प्राप्ति हुई। आज भी इस मंदिर में लोग संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं। भोलेनाथ की कृपा नि:संतान लोगों पर बरसती हैं। यहां न सिर्फ छत्तीसगढ़ से बल्कि दूसरे राज्यों से भी लोग संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंचते हैं।

कछुओं की होती है पूजा
यह मंदिर जितना पुराना है, उतने ही पुराने इस तालाब में रहने वाले कछुए और मछलियां हैं। पुजारी गोस्वामी के अनुसार, यहां के तालाब में मछलियां और कछुए भगवान शिव का ही अवतार माने जाते हैं। इन्हें नुकसान पहुंचाने वालों के साथ गंभीर दुर्घटना हो सकती है। इसलिए यहां आसपास रहने वालों ने कभी इस तालाब की मछलियां या कछुए पकड़ने की कोशिश नहीं की। इतना ही नहीं किसी बाहरी व्यक्ति भी ऐसा करने की कोशिश की तो अंजाम बुरा होता है। यहां लोग मछली और कछुए को भगवान का अवतार मानकर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद के रूप में आटा खिलाते हैं।

अनोखा है मंदिर का गर्भगृह
इस मंदिर गर्भगृह में पंचमुखी शिवलिंग के साथ महादेव, पार्वती और भगवान गणेश की ऐसी प्रतिमा है, जिसमें महादेव ने अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए हैं। हंस पर सवार ब्रम्हा की मूर्ति स्थापित है। यहां विष्णु की प्रतिमा गरूढ़ के साथ विद्यमान है। गणेश और पार्वती भी विराजे हैं। द्वार रक्षक कीर्तिमुख है। पांच मुख वाले शिव भी विराजमान हैं। मान्यता है कि शिव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। हर साल सावन और महाशिवरात्रि पर यहां  विशेष पूजा की जाती है। सन 1838 ईसवीं में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। मंदिर की देखरेख ठाकुर परिवार करता है।

सावन सोमवार को विशेष धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिये जाना जाता है। इस दौरान पूरे महीने भगवान महादेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। खास बात ये है कि सावन में पड़ने वाले हर सोमवार का विशेष धार्मिक महत्व होता है। क्योंकि सोमवार भगवान शंकर का दिन होता है। इस दिन शिवभक्त सोमवार का व्रत रखते हैं और इसे ही सावन सोमवार व्रत कहा जाता है।

इस साल सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 को हुई थी, जिसका समापन 9 अगस्त को होगा। इस दौरान चार सावन सोमवार व्रत पड़ेंगे, जिसमें पहला सावन सोमवार व्रत 14 जुलाई को था। सावन सोमवार का व्रत रखने वाले श्रद्दालुओं पर महादेव की विशेष कृपा होती है। इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और आदि पूजन कार्य करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।  

सावन सोमवार व्रत और पूजा विधि

    जो लोग सोमवार व्रत पूरे साल रखना चाहते हैं, वे सावन के पहले सोमवार से इसकी शुरूआत कर सकते हैं। सावन सोमवार व्रत के नियमों का पालन करते हुए शिव पूजा करते हैं।
    सावन सोमवार का व्रत रखने वाले जातक सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
    शिवलिंग पूजन करें। मंत्र आदि का जाप करें।
    शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, गाय का दूध, गंगाजल, भस्म, अक्षत्, फूल, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाते हैं।
    सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। शिव चालीसा, शिव रक्षा स्तोत्र पढ़ते हैं। शिव मंत्रों का जाप करते हैं।
    व्रती जातकों को झूठ या अपशब्द बोलने, मांस-मंदिरा या नमकयुक्त भोजन से पूरी तरह से परहेज करना चाहिये।
    व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से भी शुद्ध और पवित्र रहें। पूरे दिन भगवान शिव का स्मरण करें।
    शाम के समय प्रदोष काल में धूप-दीप जलाकर पूजन करें और भगवान शिव की आरती उतारे।
    सावन सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करने वालों के दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ, उनके शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
    सावन के सभी सोमवार व्रत रखना चाहिए। इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी।

अगले दिन करें व्रत का पारण-
शिवधर्मोक्त शास्त्र के अनुसार संध्याकाले पूजनान्ते विधिना पारणं कुर्यात अर्थात व्रत का पारण संध्या के समय पूजा पूर्ण होने के बाद करना चाहिए। किसी भी व्रत का फल तभी मिलता है जब पारण सही समय और सही विधि से हो। सावन सोमवार व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रत का पारण सूर्योदय (ब्रह्म मुहूर्त) के बाद किया जाता है। सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना परंपरागत माना जाता है।

जानें कब-कब है सावन सोमवार-

    पहला सावन सोमवार – 11 जुलाई 2025
    दूसरा सावन सोमवार व्रत- 21 जुलाई 2025
    तीसरा सावन सोमवार व्रत- 28 जुलाई 2025
    चौथा सावन सोमवार व्रत- 4 अगस्त 2025

 

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